शनिवार, 29 अगस्त 2009

अथ बीजेपी पुराणम्

मौजूदा दौर में भारतीय जनता पार्टी एकमात्र लोकतान्त्रिक दल है। जहाँ पर पार्टी के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवानी पर भी उंगली उठाने का पार्टी के बड़े से बड़े और छोटे से छोटे नेता या कार्यकर्ता को अधिकार हासिल है। वही दूसरी और कल्पना कीजिए कि सत्तासीन कांगेस में क्या ऐसा हो सकता है। कोई भी दिग्विजय या कोई भी रसूखदार नेता सोनिया अम्मा या राहुल भिया कि बारे अपना मुह भी हिला सकते है। मुलायम सिंह, लालू यादव (लिस्ट ओर भी बड़ी हो सकती है जो ये खाकसार चाहता नही है) के खिलाफ बोलकर कोई नेता इनकी पार्टी में साँस ले सकता है।
अभी बीजेपी में मंथन का दौर चल रहा है। इसमे से अमृत भी निकलेगा ओर विष भी निकलेगा और विष संघ को ही पीना होगा। आखिर सत्ता सुख में मलाई चाटने का खामियाजा जो भुगतना है। अभी बहुत से जसवंत, शोरी, यशवंत बाकी है। इंतज़ार कीजिए।
बाकी फिर कभी। जे हिंद.

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