सोमवार, 31 अगस्त 2009

अथ बीजेपी पुराणं ... ..


भाजपा के शीर्ष नेता आडवानी जी के बाद कौन ये यक्ष प्रश्न बीजेपी के नेताओ ओर संघ का पेशोपेश में डाल रहा होगा। सुषमा स्वराज बेहतर विकल्प हो सकती है। जिन्ना प्रकरण के बारे में बहुत लिखा जा चुका जा चुका है। कही बिल्ली के भाग पे चिका टूट जाए और जोशी जी को चुना गया तो फिर साल-दो साल बाद नया नेता चुनो। वैसे जोशी जी एक बार अध्यक्ष पद पर आसीन हो चुके है। कोई खास उपलब्धि उनके नाम पर दर्ज भी नही है। जेटली लोकसभा के सदस्य नही है। आगे - आगे देखिये क्या होता है या आडवानी जी ही चिपके रहते है। शेष आगे ...

शनिवार, 29 अगस्त 2009

अथ बीजेपी पुराणम्

मौजूदा दौर में भारतीय जनता पार्टी एकमात्र लोकतान्त्रिक दल है। जहाँ पर पार्टी के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवानी पर भी उंगली उठाने का पार्टी के बड़े से बड़े और छोटे से छोटे नेता या कार्यकर्ता को अधिकार हासिल है। वही दूसरी और कल्पना कीजिए कि सत्तासीन कांगेस में क्या ऐसा हो सकता है। कोई भी दिग्विजय या कोई भी रसूखदार नेता सोनिया अम्मा या राहुल भिया कि बारे अपना मुह भी हिला सकते है। मुलायम सिंह, लालू यादव (लिस्ट ओर भी बड़ी हो सकती है जो ये खाकसार चाहता नही है) के खिलाफ बोलकर कोई नेता इनकी पार्टी में साँस ले सकता है।
अभी बीजेपी में मंथन का दौर चल रहा है। इसमे से अमृत भी निकलेगा ओर विष भी निकलेगा और विष संघ को ही पीना होगा। आखिर सत्ता सुख में मलाई चाटने का खामियाजा जो भुगतना है। अभी बहुत से जसवंत, शोरी, यशवंत बाकी है। इंतज़ार कीजिए।
बाकी फिर कभी। जे हिंद.